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कॉलगर्ल

वैसे तो मीरा से मिलने के बाद ही समीर आगे के स्टेप के बारे में सोच सकता था। बहरहाल मीरा के घर रह कर पुलिस की मेहमान नवाजी करना उसे ठीक नहीं लगा था। मीरा के हस्बैंड की हत्या हुई थी उस सिलसिले में जो इनफॉरमेशन उसे चाहिए थी वह मिल जाती तो उसका काम आसान हो जाता। अगर ऐसा होता है तो समीर अपने अनुमान पर बिल्कुल खरा उतरता। उसे अपनी धारणा पर यकीन हो जाता। समीर इस केस को लेकर पूरी तरह सतर्क था। केस काफी उलझा हुआ था तभी तो वह डिटेल में जाकर इन्वेस्टिगेट करना चाहता था। हंसा मासी को उसने बोल दिया था, अगर मीरा आती है तो उसे बता देना कि वह कुछ काम से बाहर जा रहा है जल्द ही वापस लौट आएगा। चुपचाप वह दरवाजा पार किया। पार्किंग से अपनी गाड़ी निकाल कर समीर वहां से ऐसे निकला जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो। समीर की गाड़ी इस वक्त शहर की गलियां पार कर रही थी। तभी उसने गाड़ी रोकी और राहदारी को पूछ लिया, भाई "रमन नगर का रास्ता कौन सा है?" "इसी रास्ते आगे बढ़ते रहे भाई साहब...' राहदारी बोला था, "आगे वाले चौराहे से लेफ्ट चलना। वहाँ आर्मी स्कूल है। ठीक उसके पीछे का इलाका रमन नगर का है। समीर की गाडी रमन नगर की ओर आगे बढ़ने लगी। रास्ता पूछता हुआ समीर ठमठोर सिंघ के मकान तक पहुंच गया। उसे ठमठोर सिंघ के बंगले तक पहुंचने में तकरीबन पंद्रह मिनट लगे थे। बराबर ठमठोर के बंगले के आगे उसने गाड़ी रोकी। समीर पिछले गेट से उसके बंगले में दाखिल हो गया। बताने की जरूरत नहीं है जिस घर में मर्डर हुआ हो उसे घर का माहौल कैसा होगा। घर में मातम छाया हुआ था। मुख्य दरवाजा बंद था इसलिए समीर ने डोर बेल की स्विच पर उंगली दबाई। जब तक दरवाजा नहीं खुला तब तक उस जगह को देखने लगा जहां वह खड़ा था। ये वही जगह होगी जहाँ ठमठोर सिंघ बैठता था। समीर ने ठमठोर सिंघ की हत्या की न्यूज देखी थी। उसमें बार बार पिछले दरवाजे वाली जगह को दिखाया गया है। बस इसी जगह ठमठोर सिंघ अपनी कुर्सी लगाकर बैठता था। सामने कोने वाली दीवार से अभी भी एल.ई.डी स्क्रिन लगा था। यहीं बैठकर ठमठोर आइटम सोंग सुनता होगा। ठीक उसके साथ वाली दीवार पर लहू से कठपुतली लीखा हुआ था। कुछ देर बाद दरवाजा खुला। दरवाजा खौलने वाली एक महिला थी। उसकी उम्र तकरीबन सत्ताईस अट्ठाईस साल रही होगी। वो उतनी खूबसूरत तो नहीं थी मगर उसका फिगर किसी भी मर्द को उसका आदी बनाने के लिए काफी था।  "आप कौन है?" उसने अपना म्लान चेहरा उपर उठा कर धीमी आवाज में पूछा था। समीर में अपनी कड़क आवाज में कहा, थाने से इंस्पेक्टर खटपटीया सर में मुझे भेजा है। मुझे ठमठोर सिंघ की हत्या के सिलसिले में कुछ सवाल पूछने हैं। हम चाहते हैं जल्द से जल्द हत्यारे के खिलाफ कोई ठोस सबूत मिल जाए। दरवाजे में खड़ी महिला ने समीर को अंदर आने का रास्ता दे दिया। समीर बिना देरी किये तुरंत घर के अंदर दाखिल हो गया। घर के अंदर का माहौल बिल्कुल मातम जैसा था। घर में जितने भी मेंबर थे सभी के चेहरों पर उदासी छाई हुई थी। ठमठोर सिंह के लड़के ने समीर से मुखातिब होते हुए कहा, "हम आपके सवालों के जवाब दे सके ऐसी मानसिक स्थिति में नहीं है फिर भी अंदर आओ, बैठो जितनी हो सके आपकी हेल्प जरुर करेंगे।" "नहीं...!"समीर इनकार करते हुये बोल उठा, "मैं बैठने नही आया। मुझे सिर्फ इतना जानना है कि तुम लोग उड़ीसा छोडकर गुजरात आये उस वक्त तुम्हारे साथ कोई और फैमिली भी थे क्या?" "हाँ...." ठमठोर का काला लडका बोल उठा, मुझे याद है कुछ दिन पहले यानी की जिस दिन करण दास की हत्या हुई उसी दिन पापा ने मुझे बताया था कि हम लोग उड़ीसा से सूरत आने वाले पांच दोस्त थे।" "अच्छा?" "हाँ, जिसमें अब तक दो की हत्या हो चुकी है।" "ऐसा क्या? मैं नाम जान सकता हूं" समीर ने ठमठोर के लड़के से पूछा। समीर के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ नजर आ रही थी। "सूरत पापा के साथ आने वाले दोस्तों में पहले मैं एक का ही नाम जानता था। मर्डर हुआ तभी पापा ने बताया था कि वो भी उनका दोस्त था।" "क्या तुम करण दास की बात कर रहे हो?" "नहीं उसकी हत्या होने के बाद पापा ने बताया कि वह उनका दोस्त था। पापा ने अपने एक खास दोस्त का नाम और भी बताया था, वह है पुरुषोत्तम दास।" "थैंक यू सो मच मुझे बस इतना ही जानना था फिलहाल मैं चलता हूं आपके पिता के हत्यारे को कहीं से भी ढूंढ निकलूंगा यह मेरा वादा है।" "आप हत्यारे को ढूंढ निकालेंगे यह तो हमारे लिए अच्छी बात है।" एक के बाद एक सभी कड़ियां मिल गई थी। हत्यारे की पैटर्न जो भी थी समीर समझ चुका था। "जाते-जाते एक सवाल और क्या मुझे पुरुषोत्तम दास के घर का एड्रेस मिल सकता है?" "पापा की पर्सनल डायरी में उसका नंबर था! बाकी वह कहां रहता था मुझे बिल्कुल पता नहीं है।" "वो डायरी किसके पास है।" "हमारे पास नहीं है साहब, पुलिस के कब्जे में है।" "ओके, ऐसी हालत में पुलिस की हेल्प करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मिस्टर दुष्यंत।" इतना कहकर समीर वहां से निकल गया। समीर को जिस बात का पता लगाना था वह उसने लगा लिया। काम खत्म होते ही समीर उसके घर से निकल गया। कोई एक बार मीरा के घर जाना चाहता था अगर वह घर पर आ गई है तो उससे पूछताछ करके किसी होटल में रुकने का उसका इरादा था। कार स्टार्ट करके समीर ने मीरा के बंगले की ओर भगाई। समीर का भजन पसीने से पूरी तरह भीग चुका था। क्योंकि हत्यारा जगह-जगह कठपुतली क्यों लिख रहा था उसका रहस्य वह ताड़ गया था। अब तक उसके सामने तीन नाम आए थे जिसमें दो की हत्या हो चुकी थी। एक था करण दास दूसरा था ठमठोर सिंघ, और तीसरा पुरुषोत्तम। कठपुतली के हिसाब से (क) से करसनदास हो रहा था, (ठ) से ठमठोर सिंध हो रहा था, और पुरुषोत्तम का (प) हो रहा था। कठपुतली के हिसाब से अगला मर्डर पुरुषोत्तम का होने वाला था। कठपुतली यानी की हत्यारे के हिटलिष्ट की नामावली के पहले मूलाक्षर। समीर के बदन में रोमांच की लहर दौड़ गई।

(क्रमशः)

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3 Comments

Gunjan Kamal

01-Oct-2023 08:21 AM

शानदार भाग

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Babita patel

30-Sep-2023 06:44 AM

v nice

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Punam verma

30-Sep-2023 09:05 AM

Nice part

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